Everything About What is DNS in Hindi with Complete Explanation

what is domain name system in hindi

DNS का full form Domain Name System है। इसे domain name server या domain name service भी कहा जाता है। DNS एक ऐसा system है जो कि जो किसी भी domain को उसके IP address से connect करता है।

What is dns in hindi


DNS पूरे (वर्ल्ड वाइड ) World-wide मे सिर्फ एक ऐसा system है जिसकी help से Internet को Browse कर सकते है।

IP address नंबर के form में होता है ताकि इसे हमारा कंप्यूटर आसानी से समझ सके क्योंकि हमारा system वो language नही समझता है जिस language को हम उस मे feed करते है ठीक उसी तरह जब हम किसी domain जैसे engineerscreator.blogspot.com को browser में feed करते है तो वह इसको IP address के form में change कर देता है जिससे कि ब्राउज़र को यह पता चल सके कि हम internet पर कौन सा page access करना चाहते है।

हर domain name(जैसे engineerscreator.blogspot.com) का एक unique IP address होता है जिससे कि यह पता चलता है कि website का कंटेंट कौन से सर्वर पर है।

आसान शब्दों मे कहे तो DNS एक System होता है जो कि Domain Name को IP Address मे चेंज या map कर देता है जिसकी मदद से वेब ब्राउज़र यह समझ सके कि आप इंटरनेट पर कौन सा page Access करना चाहते है।

Types of DNS in Hindi

  1. Root Servers
  2. Primary Servers
  3. Secondary Servers
  4. Coaching Only
  5. Forwarding Servers

Root Servers

Root Server को DNS के Top पर पोजीशन किया जा सकता है। यह top level zonesको मेंटेन करता है। Root Servers को NIC के द्वारा मेंटेन किया जाता है।


Primary Servers

Generally हर Domain के लिए एक Primary Server होता है। किसी भी Domain मे सभी type के changes इसी System के द्वारा होते है। Primary server जिस भी Domain को Serve करते है ये उस Domain के लिए Authoritative होते है।


Secondary Servers

Domain के पास कम से कम minimum एक Secondary Domain होता है। In Fact, NIC किसी भी Domain कोTop Level Domain के Sub Domain के तौर पर तब तक Officially Registered नहीं करती है जब तक कोई Website दो DNS Servers को Demonstrate नहीं करती है।

features of secondary server in hindi

Secondary Servers के निम्नलिखित Features होते है

  • प्रत्येक Domain के one or more (एक या एक से ज्यादा)Secondary Server होते है।
  • ये जितने भी Domainके Appropriate Primary Server के तौर पर serve करते है ये उन Domains की इंफॉर्मेशन की Copy को obtain करते है।
  • Secondary server उन सभी Domain के लिए Authoritative होते है जिन्हे ये Serve करते है।
  • ये time time पर Domain के Primary Server से Update को प्राप्त करते रहते है।

Coaching Only

ये server किसी भी Domain के लिए केवल इंफॉर्मेशन Cache करते है। Coaching only server किसी भी Domain के लिए Authoritative नहीं होते है।

ये निम्नलिखित Feature प्रदान करते है

  • ये Looked up nameकोLocal cache प्रदान करते है।
  • Coaching only server के पास Lower Administrative होता है।

Forwarding Servers

Forwarding servers Primary और Secondary Servers का Variation होते है।

इनमे निम्नलिखित Features होते है

  • Forwarding servers का यूजOff-site Requests को Centralize करने के लिए किया जाता है।
  • इस server का यूजForwarder के रूप में किया जाता है जिसकी हेल्प से इंफॉर्मेशन का Rich Cache बनाया जा सकता है।
  • प्रत्येक Off-site Queries सबसे पहले Forwarders से होकर गुजरती है
  • Forwarders के लिए किसी स्पेशल set up की जरूरत नहीं होती है।

How Does Domain Name System Works in Hindi

माना की हम ब्राउज़र में किसी website का नाम feed करते है जैसे engineerscreator.blogspot.com तो हम जानते है कि हम उस website में enter करना चाहते है लेकिन कंप्यूटर यह नही जानता है कि ये engineerscreator क्या है? Computer उस website पर IP address के माध्यम से पहुचता है।

जब हम website का नाम ब्राउज़र में feed करते है तो कंप्यूटर सबसे पहले ब्राउज़र के cache memory में उसका IP address check करता है क्योंकि अगर आपने पहले कभी उस website को ब्राउज़र पर search किया हो तो उसका IP address ब्राउज़र की cache memory में save हो जाता है। अगर browser cache में IP मिल जाये तो website open हो जाती है।

अगर website browser cache में stored नही है तो यह आपके ऑपरेटिंग सिस्टम को request transfer करेगा। ऑपरेटिंग सिस्टम यह Internet service provider(ISP) को रिक्वेस्ट भेज देता है। जहाँ IP address का record हो सकता है अगर वहां IP address का रिकॉर्ड नही मिलता है तब

यह request root server को भेज दी जाती है।root server में domain servers की IP मिल जाती है और यह कंप्यूटर को भेज दी जाती है और यह process बहुत जल्दी हो जाती है यानी कि यह process milliseconds में ही complete हो जाती है।

IP address numbers के form में होता है जैसे 265.67.36


Advantages of DNS in Hindi

  • इसका सबसे बड़ा advantage यह है कि आपको IP Address को याद रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। DNS की मदद से Domain और Sub Domain को IP Address मे बदला (Convert) किया जा सकता है।
  • DNS बहुत ज्यादा Secure होते है।
  • इनमे इंटरनेट का कनेक्शन बहुत Fast होता है।
  • इसकी मदद से आप इंटरनेट पर Websites को Search कर सकते है।
  • यह Search Engines को Categorizing, Archiving जैसी facility प्रदान करता है।
  • यह DNS Protocol को specify करता है।

Disadvantages of DNS in Hindi

  • DNS की registry केवल ICANN के द्वारा ही होती है।

domain name system history

Advance Research Project Agency Network (ARPANET) की establishment 1966 मे हुई थी ।

इसके बाद वर्ष बीतते गए Arpanet के माध्यम से जुड़े हुए Centers की संख्या बढ़ती गई। 1980 तक इस Network के माध्यम से 320 कंप्यूटर जुड़ चुके थे यही इसकी सबसे बड़ी समस्या थी। ARPANET बहुत बड़ी मात्रा मे वेबसाइट और उसके Corresponding IP Address की डायरेक्टरी थी।

लेकिन(But) जब इसमे Connect होने वाले कंप्यूटर की संख्या जब बढ़ने लगी तो ARPANET के लिए इन सब को Maintain करना बहुत मुश्किल हो रहा था। इसमे Numerical IP Address यूजर के लिए याद करना बहुत ही कठिन था।

इसी problem का solution Paul Mockapetris ने किया। उन्होंने Jon Postal और Zaw-Sing Su के साथ मिलकर सन 1983 मे वेबसाइट के लिए Nomenclature को Propose किया। इसके अंतर्गत .com, .edu, .org, .net, .int, .gov एवं .mil जैसे Domains को सम्मिलित किया गया।

सन 1985 के end तक.com के साथ 6 new Domains को add किया गया था। सबसे पहले इसमे .com को जोड़ा गया था जो कि अभी तक Exists करता है।


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